कूका आंदोलन

इस आंदोलन की शुरुआत पश्चिमी पंजाब में जवाहरमल भगत (सियान साहिब) एवं उनके शिष्य बालक सिंह ने की थी। कूका आंदोलन के तहत सिख धर्म में व्याप्त बुराइयों एवं अंधविश्वास को समाप्त करने के लिए यह धार्मिक आंदोलन चलाया गया था। इसके तहत इन्होंने मदिरापान, मांस का सेवन, नशीले पदार्थों का सेवन एवं पर्दाप्रथा जैसी कुरीतियों का विरोध किया तथा अन्तर्जातीय विवाह को प्रोत्साहित किया। प्रारम्भ में यह आंदोलन धार्मिक था परंतु पंजाब की सत्ता अंग्रेजों द्वारा हस्तगत किये जाने पर यह आंदोलन राजनीतिक आंदोलन में परिवर्तित हो गया। अत: अंग्रेजों ने इस आंदोलन को दबाना शुरू कर दिया जिसके तहत आंदोलन के प्रमुख क्रांतिकारी नेता राम सिंह को 1872 में रंगून निर्वासित कर दिया गया वहां उनकी 1885 में हो गयी ।
इस प्रकार यह आंदोलन समाप्त हो गया।

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