कोलिय विद्रोह

कोलिय जाति के लोग महाराष्ट्र में मराठा पेशवाओं के दुर्गों के सैनिक के रूप में कार्य करते थे। अंग्रेजी साम्राज्य आ जाने के कारण दुर्गों को अस्त व्यस्त कर दिया गया जिससे ये लोग बेगार हो गये तथा अंग्रेजों के विरुद्ध आंदोलन करने लगे। वर्तमान महाराष्ट्र के पश्चिमी हिस्से एवं गुजरात के कच्छ छेत्र में कोलियों ने विद्रोह की आवाज बुलंद कर ली। सन 1824 ई० में सरदार गोविंद राव के नेतृत्व में विद्रोह की शुरुआत हुई।जिसे अंग्रेजों के द्वारा सन् 1825 में दबा दिया गया।फिर सन् 1839 ई० में पूना छेत्र के आसपास विद्रोह शुरू हुआ जो कि लगभग 1850 ई० तक चला।इस विद्रोह में प्रमुख  विद्रोही भाऊ सरे, चिमनाजी यादव,नाना दरबारे, रघु भंगारिया, बापू भंगारिया आदि ने समय-समय पर नेतृत्व किया।अन्य आंदोलनों के विद्रोहियों ने भी सहयोग किया।

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