सम्भलपुर का विद्रोह
उड़ीसा प्रांत के सम्भलपुर में गोंड जनजाति में उत्तराधिकार के प्रश्न पर मतभेद होने के कारण अंग्रेजों के द्वारा हस्तक्षेप किया गया जिससे असंतुष्ट होकर वहां पर 1833 ई० में विद्रोह की शुरुआत हुई परन्तु ब्रिटिश शासन ने विद्रोह को दबा दिया।
उसके बाद सन 1839 ई० मे सुरेंद्र सांईं के नेतृत्व में आंदोलन की दोबारा शुरुआत हो गई और विद्रोह बहुत जोरदार तरीक़े से हुआ। सुरेंद्र सांई के नेतृत्व में 1857 के विद्रोह में भी भाग लिया गया उन्होंने वहा समानांतर सरकार चलाकर विरोध किया। इस कार्य में स्थानीय जमींदारों ने भी उनका साथ दिया। सन 1862 ई० में सुरेंद्र सांई ने आत्मसमर्पण कर दिया जिससे यह आंदोलन कमजोर होता चला गया।
उसके बाद सन 1839 ई० मे सुरेंद्र सांईं के नेतृत्व में आंदोलन की दोबारा शुरुआत हो गई और विद्रोह बहुत जोरदार तरीक़े से हुआ। सुरेंद्र सांई के नेतृत्व में 1857 के विद्रोह में भी भाग लिया गया उन्होंने वहा समानांतर सरकार चलाकर विरोध किया। इस कार्य में स्थानीय जमींदारों ने भी उनका साथ दिया। सन 1862 ई० में सुरेंद्र सांई ने आत्मसमर्पण कर दिया जिससे यह आंदोलन कमजोर होता चला गया।
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