यंग बंगाल आन्दोलन एवं हेनरी विवियन डेरोजियो

19 वीं शताब्दी के पूर्वाद्ध में बंगाल के बुद्धिजीवियों में उग्र एवं आधुनिक प्रवृति का जन्म हुआ। इन्होंने सामाजिक कुरीतियों एवं अंधविश्वासों का तीव्र विरोध किया। इस आंदोलन को 'यंग बंगाल आंदोलन' के नाम से जाना जाता है। इसकी शुरुआत कलकत्ता के हिन्दू कालेज के प्राध्यापक( 1826-1831) अॉग्ल-भारतीय, हेनरी विवियन डेरोजियो ने की थी। हेनरी विवियन डेरोजियो फ्रांस की क्रांति से प्रभावित थे, अतिवादी विचार रखते थे। उन्होंने रूढिवादी एवं पुराने रीतिरिवाजों का विरोध किया।
       हेनरी ने 'बंगाल स्पेक्टेटर' नामक् पत्रिका का संपादन किया। आध्यात्मिक उन्नति और समाज सुधार के लिए उन्होंने ' एकेडमिक एसोसिएशन', 'सोसायटी फॉर एक्वीजिशन अॉफ जनरल नॉलेज', 'एग्लो- इंडियन हिन्दू एसोसिएशन', 'बंगहित सभा' और 'डीबेटिंग क्लब' आदि का गठन किया। कट्टर हिंदुओं के विरोधस्वरूप हेनरी को हिन्दू कालेज से निकाल दिया गया। इसके बाद हेनरी ने 'ईस्ट इंडिया' नामक् दैनिक समाचार पत्र का संपादन किया।हेनरी को आधुनिक भारत का 'प्रथम राष्ट्रवादी कवि' कहा जाता है।  हेनहरी ने महिलाओं की शिक्षा की जोरदार वकालत की तथा पुरानी, रूढिवादी मान्यताओं का तीव्र विरोध किया जिस कारण उन्हें कट्टरवादी लोगों का विरोध झेलना पड़ा और हिन्दू कालेज के प्रबंधकों द्वारा इस आंदोलन से संबद्ध छात्रों पर प्रतिबंध लगाने के कारण यह आंदोलन विफल हो गया। यह आंदोलन शिक्षित लोगों को भी प्रभावित नहीं कर पाया। सन् 1831 ई० में ही हेनरी विवियन डेरोजियो की हैजे से मृत्यु हो गई। यद्यपि यह आंदोलन ज्यादा सफल नहीं रहा परंतु इसने राजा राममोहन राय के विचारों को आगे बढाया। सुरेंद्र नाथ बनर्जी ने इस आंदोलन को बंगाल मे 'आधुनिक सभ्यता का जनक' कहा।

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