संथाल विद्रोह

इस आंदोलन की शुरुआत सन् 1855-56 ई० में बिहार के भागलपुर छेत्र के स्थानीय जमींदारों, महाजनों एवं अंग्रेजी कंपनी के कर्मचारियों के द्वारा किए जा रहे शोषण के विरोध स्वरूप हुई। आंदोलन का नेतृत्व कान्हु व सिद्धु नामक दो सगे भाइयों के द्वारा किया गया। संथाल जनजाति के लोग राजमहल की पहाड़ियों में रहते थे।ये लोग जीवनयापन के लिए पहाड़ों में घास-जलाकर खेतीबाड़ी करते थे तथा पशुपालन करते थे परन्तु पहाड़ों में सीमित संसाधन होने के कारण ये लोग निकटवर्ती मैदानी क्षेत्रों में लूटपाट भी करते थे और पहाड़ से गुजरने वाले रास्तों पर पथकर लगाकर जीवनयापन करते थे। लेकिन जब 1770 में कंपनी शासन द्वारा पहाड़ों को उजाड़कर खेतीबाड़ी योग्य भूमि की कमी हो गई और जमींदार व साहूकारों द्वारा धन की उगाही लगातार की जाती रही तो ऐसे मेंं इन लोगों को जीवनयापन में अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। अंततः इन्होंने जमींदारों व साहूकारों के विरुद्ध विद्रोह का मोर्चा खोल दिया जो आगे चलकर अंग्रेजों के विरुद्ध हिंसक हो गया। अंग्रेजों ने इसे निर्ममता पूर्वक दबा दिया।

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