त्रावणकोर का विद्रोह ( वेलू थम्पी का विद्रोह)
ब्रिटिश शासन के विरुद्ध 1857 के सिपाही विद्रोह से पूर्व में त्रावणकोर का विद्रोह एकमात्र ऐसा विद्रोह था जिसे 'राष्ट्रीय संघर्ष' का दर्जा दिया गया। त्रावणकोर प्रारम्भ में ब्रिटिश शासन का मित्र राज्य था तथा इसने मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के विरुद्ध ब्रिटिश कंपनी का सहयोग किया था परंतु कंपनी के साम्राज्य विस्तार की नीति को देखते हुए यहाँँ के योग्य मंत्री 'वेलू थम्पी' ने 1808 में घोषणा की यदि 'हमने ब्रिटिश कंपनी का विरोध नहीं किया तो हमारी प्रजा को असहनीय कष्टों का सामना करना पड़ेगा'। इसके फलस्वरूप हजारों हथियारबंद बंद लोग वेलू थम्पी के साथ आ गए। इस आँँदोलन का नेतृत्व 'वेलू थम्पी' ने किया इसलिए इसे ' वेलू थम्पी का विद्रोह' भी कहा जाता है। थम्पी ने अमेरिका, फ्रांस जैसे देशों से सहायता मांगी परन्तु इन देशों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।इसी प्रकार पड़ोसी राज्य कोचीन के मंत्री पालियाथ आचन ने भी थम्पी को धोखा दे दिया जिसके परिणाम स्वरूप ब्रिटिश सेना ने 1809 ई० में त्रावणकोर में काफी अन्दर तक चढाई कर दी। इसे देखकर वेलू थम्पी ने आत्महत्या कर ली परंतु आत्मसमर्पण नहीं किया। इस प्रकार इतिहास का यह महत्वपूर्ण संघर्ष एक वर्ष के अंदर ही समाप्त हो गया।
वेलु थम्पी विद्रोह 1805 में शुरू हुआ था या 1808 में
जवाब देंहटाएं1805 me
हटाएं1808
हटाएं1808
हटाएं1808
हटाएं1805 me
हटाएं1836-1854
जवाब देंहटाएंLekin keral me yh 1803 me hua..
१८०८
जवाब देंहटाएं1808-1809
जवाब देंहटाएं1808 hi shi h bhai
जवाब देंहटाएं1800 to 1809
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