अतरंजीखेड़ा गंगा की एक सहायक कली नदी के तट पर उत्तर प्रदेश के एटा जनपद में एक प्रागैतिहासिक और ऐतिहासिक खुदाई पुरातात्विक स्थल है । इस साइट को पहली बार 1862 में सर अलेक्जेंडर कुनीघम द्वारा पहचाना गया था, लेकिन 1962 में आर सी गौर द्वारा खोदने वाले सात स्थलों में चल रहे व्यवसाय की अनूठी निरंतरता को प्रकट करने के लिए खुदाई की गई थी। चीनी यात्री ह्वेनसांग के द्वारा अपने ग्रन्थ में इस स्थाल का नाम पिलोशान कहा गया है। अतरंजीखेड़ा में गैर मृदभाण्ड संस्कृति से लेकर गुप्त वंश तक के अवशेष प्राप्त हुए हैं। यहां से हडप्पाटालीन धान की खेती के साक्ष्य प्राप्त हुए। काले एवं लाल मृदभाण्ड भी प्राप्त हुए। कुषाण वंश के लाल बर्तन, मध्ययुगीन चमकदार बर्तन आदि अवशेष प्राप्त हुए हैं।
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