महात्मा गांधी जी - परिचय, अफ्रीका प्रवास एवं भारत आगमन

परिचय 

           गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के काठियावाड़ में पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता कर्मचंद गांधी पोरबंदर के दीवान थे। माता पुतलीबाई
एक धार्मिक विचारों वाली महिला थीं। गांधी जी का विवाह 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा गांधी के साथ हुआ था। सन् 1887 ई० में इन्होंने मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण की इसके पश्चात भावनगर के रामदास कालेज से डिग्री प्राप्त की उसके पश्चात बेरिस्टर की डिग्री करने लंदन चले गए वहां से लौटने पर वकालत शुरू की। 30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या कर दी गई।

अफ्रीका प्रवास

              सन् 1894 में गांधी जी गुजरात के व्यापारी दादा अब्दुल्ला का केस लड़ने अफ्रीका चले गए। वहां उन्होंने गोरों के द्वारा कालों एवं भारतीयों के शोषण के विरुद्ध संघर्ष किया। उन्होंने 'सत्याग्रह' का सहारा लेकर अपनी निम्न मांगें मनवाई :
  • गांधी जी ने अफ्रीका में भारतीयों को संगठित करने के लिए 'नटाल भारतीय कांग्रेस' की स्थापना की तथा ' इंडियन ओपिनियन' नामक समाचार पत्र का प्रकाशन प्रारंभ किया। उन्होंने भारतीयों को संगठित करके अहिंसात्मक विरोध किया तथा अफ्रीकी सरकार को याचिका एवं प्रार्थना-पत्र सौंपने की नीति अपनाई।
  • गांधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में गोरी सरकार के विरुद्ध 'सविनय अवज्ञा' की नीति अपनाते हुए 'सत्याग्रह' की शुरुआत की।
  • दक्षिण अफ्रीका सरकार ने एक कानून पारित किया जिसके तहत प्रत्येक भारतीय को अंगूठे के निशान वाला पंजीकरण प्रमाण-पत्र को हर समय अपने साथ रखना पड़ता था इसका विरोध करते हुए गांधी जी ने ' अहिंसात्मक प्रतिरोध सभा ' का गठन किया था। विरोध करने के कारण गांधी जी को कई भारतीयों के साथ जेल में डाल दिया गया और छलपूर्वक इनका रजिस्ट्रेशन भी कर दिया गया परंतु गांधी जी की अगुवाई में इन कागजातों को जला दिया गया।
  • वर्ष 1908 में अफ्रीकी सरकार ने भारतीयों के प्रवास को रोकने के लिए कानून पारित किया जिसके विरोधस्वरूप भारतीय नटाल से ट्रांसवाल पहुंचे और अनेक स्थानों की यात्राएं करके इस आंदोलन का विरोध किया। विरोध करने के कारण गांधी जी को सन् 1908 में फिर से जेल जाना पड़ा।
  • गांधी जी ने अफ्रीकी सरकार के अड़ियल रुख के विरुद्ध आंदोलन को जारी रखा जिससे भारतीयों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके लिए उन्होंने अपने एक जर्मन मित्र चित्रकार कालेनबाख की मदद से  ' टालस्टाय फर्म ' की स्थापना की तथा सभी भारतीय गरीबों को मदद पहुंचाई।
  • अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के इकरारनामे के समाप्त होने पर उन पर तीन पौंड का टैक्स लगा दिया जोकि उनकी आय की अपेक्षा में बहुत अधिक था इसके विरुद्ध व्यापक जन-आंदोलन हुआ इसी समय अफ्रीकी सरकार ने एक अन्य कानून पारित करके यह घोषणा कर दी कि जो विवाह ईसाई पद्दति से नहीं हुए हैं वह अवैध माने जाएंगे और उनसे उत्पन्न संतानें भी अवैध मानी जाएंगी। इसे भारतीयों ने अपनी महिलाओं का अपमान समझा। गांधी जी सहित अनेक सत्याग्रही कानून की अवहेलना करते हुए नटाल से ट्रांसवाल पहुंच गए। सरकार ने इन्हें बंदी बनाकर जेल भेज दिया। खदान मजदूरों एवं बागान मजदूरों ने हड़ताल प्रारंभ कर दी जिसके विरूद्ध सरकार ने दमनात्मक कार्यवाही की।स सरकार की दमनात्मक कार्यवाही से भारतीयों में काफी आक्रोश हुआ। तत्कालीन भारतीय गवर्नर जनरल लार्ड हार्डिंग ने इसकी निंदा की तथा अत्याचारों की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की।
                   गांधी जी, लार्ड हार्डिंग, सी० एफ० एन्ड््रूज एवं गोपाल कृष्ण गोखले से कई दौर की बातचीत के बाद अफ्रीकी सरकार ने भारतीयों की मुख्य मांगों को स्वीकार कर लिया। तीन पौंड कर, पंजीकरण प्रमाण-पत्र तथा भारतीयों को उनके रीति-रिवाजों से विवाह करने की छूट प्रदान की गई। अन्य कठिनाइयों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया गया।

गांधी जी का भारत आगमन

       गांधी जी का 9 जनवरी 1915 को भारत आगमन हुआ। 9 जनवरी को प्रतिवर्ष ' प्रवासी भारतीय दिवस ' के रूप में मनाया जाता है। भारत आगमन के समय गांधी जी ब्रिटिश सरकार के साथ सहानुभूति रखते थे उनका विचार था कि विश्व युद्ध के समय भारतीयों को अंग्रेजों का साथ देना चाहिए और इस समय ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध संघर्ष नहीं करना चाहिए इसलिए उन्होंने होम रूल लीग आंदोलन का समर्थन नहीं किया तथा ब्रिटिश आर्मी में भर्ती होने के लिए भारतीयों को प्रेरित किया जिस कारण उन्हें ' भर्ती वाला सर्जेंट' कहा जाता है। प्रारम्भि वर्षों में उन्होंने किसी दल का समर्थन न करके भारतीय राजनीति को समझने का प्रयास किया।

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