स्वामी विवेकानन्द जी- परिचय एवं विचारधारा
स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम नरेंद्र दत्त था । उनके पिता विश्वनाथ दत्त कलकत्ता हाईकोर्ट में वकील थे जोकि पश्चिमी सभ्यता से काफी प्रभावित हुए। इनकी माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचार रखतीं थी वो भगवान शिव की पूजा करतीं थीं परिवार के संस्कार और धार्मिक विचारों को देखकर विवेकानंद जी बचपन से ही जिज्ञासु थे वे भगवान के बारे में जानने के इच्छुक थे। स्वामी जी ने ईश्वर के बारे में जानने के लिए ब्रह्म समाज की सदस्यता ग्रहण की परंतु वहां इन्हें संतोषजनक ज्ञान प्राप्त न होने के कारण रामकृष्ण परमहंस को अपना गुरु मान लिया और उन्हीं से आध्यात्म की शिक्षा प्राप्त की। रामकृष्ण परमहंस केवल अद्वैत दर्शन के प्रर्वतक थे।
स्वामी जी ने वर्ष 1893 में शिकागो ( यू०एस०ए०) में आयोजित ' विश्व धर्म सम्मेलन ' में हिस्सा लिया। स्वामी विवेकानंद जी ने हिन्दू धर्म के बारे में पूरी दुनिया के प्रतिनिधियों को जानकारी दी। वह ' नव हिन्दूवाद ' के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि थे। इन्होंने वर्ष 1897 में बेलूर ( कलकत्ता ) में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। 4 जुलाई 1902 में स्वामी जी ने देह त्याग दी।
स्वामी जी ने वर्ष 1893 में शिकागो ( यू०एस०ए०) में आयोजित ' विश्व धर्म सम्मेलन ' में हिस्सा लिया। स्वामी विवेकानंद जी ने हिन्दू धर्म के बारे में पूरी दुनिया के प्रतिनिधियों को जानकारी दी। वह ' नव हिन्दूवाद ' के सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि थे। इन्होंने वर्ष 1897 में बेलूर ( कलकत्ता ) में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की। 4 जुलाई 1902 में स्वामी जी ने देह त्याग दी।
स्वामी विवेकानंद के विचार
- उन्होंने धर्म को मनुष्य की सेवा के केन्द्र में रखकर ही आध्यात्मिक चिंतन किया था। उनका विचार था, ' मानव सेवा प्रभु सेवा है ' । उनका विश्वास था कि वेदांत ( ज्ञान मार्ग) पूर्ण रूप से तर्कसंगत था। उन्होंने जाति व्यवस्था की निंदा की थी और ऐसे समाज की कल्पना की जिसमें धर्म या जाति के आधार पर मनुष्य-मनुष्य में कोई भेद न हो।
- उन्होंने अपने देशवासियों की इस बात के लिए आलोचना की, कि उन्होंने बाहरी विश्व से संपर्क छोड़ दिया है। उन्होंने अपने प्रपत्र ' I am Socialist' में उच्च वर्ग के लोगों से आह्वान किया वह अपने विशेषाधिकार त्यागकर निम्न जाति के लोगों में घुल मिल जाएं ।
- उन्होंने प्रबुद्ध भारत एवं उदबोधन नामक् पत्र/पत्रिकाऐं भी लिखे।
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