होमरूल लीग आंदोलन


   
    होमरूल लीग आंदोलन की शुरुआत आयरलैंड के होमरूल आंदोलन के तर्ज पर हुई। इसके अगुआ एनी बेसेंट एवं बालगंगाधर तिलक थे जिन्होंने क्रमशः मद्रास एवं महाराष्ट्र में इसकी शुरुआत की। इस आंदोलन का उद्देश्य ब्रिटिश उपनिवेश को स्वीकार करते हुए स्वराज प्राप्ति के लक्ष्य को प्राप्त करना था जिसके तहत अहिंसा का प्रयोग किए बिना ब्रिटिश सरकार से भारतीय उपनिवेश को स्वशासन देने के प्रयास किए गए। भारतीयों को राजनीति की शिक्षा प्रदान करके ब्रिटिश सरकार पर दबाव बनाने का प्रयास किया गया। प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजो द्वारा भारतीय संसाधनों का खुले रूप से प्रयोग किया गया तथा छतीपूर्ति के लिए भारतीयों पर भारी कर आरोपित किया गया जिसके विरोधस्वरूप भारतीयों ने इस लीग आंदोलन में बढ़-चढ़कर भागीदारी की। आंदोलन काफी सक्रिय रहा क्योंकि प्रथम विश्व युद्ध से ब्रिटेन के अजेय होने का भ्रम टूट गया था साथ ही सन् 1914 में बालगंगाधर तिलक के जेल से रिहा होने पर इस आंदोलन को महाराष्ट्र में संगठनात्मक ढांचा तैयार हुआ। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रारंभ में इस आंदोलन को समर्थन नहीं दिया परंतु बाद में इसके बड़े-बड़े नेता इस आंदोलन से जुड़ गए। महात्मा गांधी एवं सी.आर. दास ऐसे नेता थे जो इस आंदोलन से कभी नहीं जुड़े।

  बालगंगाधर तिलक की होम रूल लीग

     बालगंगाधर तिलक ने होम रूल लीग की स्थापना 28 अप्रैल 1916 को बेलगांव में की थी। इस लीग का प्रभाव छेत्र कर्नाटक, महाराष्ट्र (मुंबई को छोड़कर), मध्य प्रांत एवं बरार छेत्र में था। लीग में किसी तरह का टकराव न हो इसलिए तिलक एवं बेसेंट ने अलग-अलग लीग का गठन किया था।
तिलक ने होमरूल लीग की आवश्यकता को समझते हुए कहा ' भारत उस बेटे की तरह है, जो अब जवान हो चुका है। समय का तकाजा है कि बाप या पालक इस बेटे का वाजिब हक दे दे।' तथा स्वराज प्राप्ति के लिए उनका प्रशिद्ध कथन है ' स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा

एनी बेसेंट की होम रूल लीग

    आयरलैंड की थियोसोफिस्ट महिला एनी बेसेंट सन् 1896 में भारत आतीं। यहां पर इन्होंने भारतीय उपनिवेश के स्वशासन के लिए प्रयासों की शुरुआत सन् 1914 से ही कर दी थी जिसमें एक साप्ताहिक पत्र ' काँमन वील' एवं दैनिक पत्र ' न्यू इंडिया ' का 14 जुुुलाई 1914 से प्रारंभ कर दिया था। इन पत्रों के माध्यम से भारतीयों को राजनीति एवं स्वतंत्रता से परीचित किया जाता था। 
      सितंबर 1916 में एनी बेसेंट ने मद्रास के अडयार में होम रूल लीग की स्थापना की इन्होंने जार्ज अरूड़ेल को सचिव नियुक्त किया। मद्रास के अतिरिक्त पूरे भारत में इन्होंने लगभग 200 शाखाएं खोली। इनके सहयोगियों में यूसुफ बेपतिस्ता,वी.पी.वाडिया,सी. पी. रामास्वामी अय्यर प्रमुख थे। जवाहरलाल नेहरू, पंडित मदनमोहन मालवीय, सुरेंद्र नाथ बनर्जी, वी. चक्रवर्ती प्रमुख थे। जबकि गोपालकृष्ण गोखले की 'सर्वेंट आफ इंडिया सोसायटी' के सदस्यों को होम रूल लीग में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। एनी बेसेंट की होम रूल लीग के सदस्यों की संख्या अधिक थी परन्तु तिलक की होम रूल लीग का संगठन अधिक मजबूत था।
परिणाम
         होम रूल लीग के बढ़ते हुए प्रभाव को देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने इस आंदोलन का प्रभाव कम करने के लिए सन् 1917 में एनी बेसेंट, जार्ज अरूड़ेल एवं वी.पी. वाडिया को गिरफ्तार किया गया जिसके लिए मौ० अली जिन्ना ने केस लड़ा तथा एस० सुब्रमण्यम ने विरोधस्वरूप 'नाइटहुड' की उपाधि वापस कर दी। इस गिरफ्तारी से एनी बेसेंट की लोकप्रियता काफी बढ़ गई जिस कारण उन्हें 1917 के कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में प्रथम महिला अध्यक्ष चुना गया। साथ ही तिलक को अंग्रेज लेखक वेलन्टीन सिरोल के द्वारा अपनी पुस्तक में ' भारतीय अशांति का जनक ' कहने के कारण वे उस पर मानहानि का मुकदमा करने लंदन आ गये तथा चौतरफा दबाव होने पर भारत सचिव मांटेग्यू ने भारतीय उपनिवेशीय शासन का प्रस्ताव पारित करने की घोषणा कर दी परिणामस्वरूप 20 अगस्त 1917 को होम रूल लीग आंदोलन समाप्त हो गया।

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