कैबिनेट मिशन, 1946 Cabinet Mission

     ब्रिटेन के तत्कालीन प्रधानमंत्री क्लेमेंट एटली ने 20 फरवरी 1946 को घोषणा की कि जून 1946 तक ब्रिटिश सरकार भारत को स्वतंत्र कर देगी। इसलिए भारत में भावी राजनीतिक स्वरुप का खाका तैयार करने के लिए ब्रिटिश सरकार की घोषणा के बाद मार्च 1946 में कैबिनेट मिशन भारत भेजा गया। कैबिनेट मिशन के तीन स्थायी सदस्य थे- पैथरीक लारेंस (मिशन के अध्यक्ष), अलेक्जेंण्डर, स्टेफोर्ड क्रिप्स।

मिशन की 16 मई की योजना

          कैबिनेट मिशन ने भारत आकर यहां की राजनीतिक परिस्थितियों की जांच करने के पश्चात 16 मई 1946 को भारत के लिए परिसंघ का विचार प्रस्तुत किया। इसके तहत प्रांतों को A,B,C के तीन समूहों में विभाजित किया गया। मुस्लिम बाहुल सिंध-पंजाब और उत्तर-पश्चिम प्रांत एक समूह में रखा, बंगाल और असम दूसरे समूह में तथा बाकी प्रांत तीसरे समूह में रखने का प्रस्ताव था। तीनो समूह अलग-अलग बैठक कर संयुक्त संविधान की रचना को अधिकृत थे। दिल्ली स्थित केंन्द्रीय सरकार को रक्षा,मुद्रा और कूटनीति के रुप में राष्ट्रव्यापी मामलों को संभालने के लिए सशक्त किया जायेगा।

 कांग्रेस एवं मुस्लिम लीग की प्रतिक्रिया

         कांग्रेस ने धार्मिक आधार पर प्रातीय समूहों के गठन का तीव्र विरोध किया। मुस्लिम लीग ने कैबिनेट मिशन के मूल प्रस्तावों में किसी भी प्रकार के संशोधन का विरोध किया। हालांकि महात्मा गांधी जी कैबिनेट मिशन योजना से पूर्ण रुप से सहमत थे।परन्तु सभी पक्षों की सहमति न हो पाने के कारण भारत के विभाजन को टालने का अंतिम अवसर भी समाप्त हो गया।

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