भारत एक विशाल छेत्रफल पर फैला हुआ भिन्न-भिन्न जलवायु एवं मृदाओं वाला देश है। इसलिए भारत में उष्णकटिबंधीय प्रकार से लेकर टुंड्रा प्रकार जैसी विविध वनस्पतियां पाई जाती है।जोकि पर्यावरण एवं आर्थिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण हैं। भारत में पायी जाने वाली वनस्पतियों को विभिन्न वर्गों में बांटा गया है जो कि निम्नवत हैं:- 1. उष्णकटिबंधीय सदाहरित वन- ऐसे वन 200 सेमी. से अधिक वर्षा वाले छेत्रों में पाए जाते हैं। इस प्राकार के वनों की लकड़ियां विषुवतिय वनों की तरह कठोर होती हैं एवं इनकी ऊंचाई 60 मीटर से अधिक होती है। इनमें मुख्यत: महोगनी, आबनूस, जारूल, बांस बेंत,सिनकोना एवं रबर जैसे बहुउपयोगी वृक्ष पाये जाते हैं। पश्चिमी घाट के ऊत्तरी छेत्रों में इन वनों को 'शोलास वन ' के नाम से जाना जाता है।भारत में यह वन पश्चिमी घाट, शिलांग का पठार, लक्ष्यद्वीप एवं अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं। अंडमान व निकोबार द्वीप समूह का 95% भाग इस प्रकार के वनों से ढका है। 2. उष्णकटिबंधीय आर्द्र पर्णपाती वन- ये वन 100 से 200 सेमी. वर्षा वाले छेत्रों में पाए जाते हैं। सांगवान, सखु...
अंग्रेज़ों के विरुद्ध अहोम विद्रोह 1828 ई. में किया गया था। असम के 'कुली' वर्ग के व्यक्तियों ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी पर बर्मा युद्ध के समय किये गये वायदे से मुकरने का आरोप लगाया। अंग्रेज़ों ने अहोम प्रदेश को अपने साम्राज्य में मिलाने का प्रयास किया। अहोमों ने अंग्रेज़ों के इस प्रयास को विफल करने के लिये 1828 ई. में 'गोमधर कुंअर' के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया तथा रंगपुर पर चढ़ाई की योजना बनाई। अंग्रेज़ी सेना इस विद्रोह पर नियंत्रण पाने में असफल रही। 1830 ई. में अहोमों द्वारा दूसरे विद्रोह की योजना बनाई गयी। इससे पहले की विद्रोह होता, कम्पनी ने शान्ति की नीति अपनाते हुए उत्तरी असम के प्रदेश महाराज 'पुरन्दर सिंह' को दे दिये और विद्रोह शांत हो गया।
जवाब देंहटाएंArya Yaduvanshi - 8909370570
जवाब देंहटाएंअंग्रेज़ों के विरुद्ध अहोम विद्रोह 1828 ई. में किया गया था। असम के 'कुली' वर्ग के व्यक्तियों ने ईस्ट इण्डिया कम्पनी पर बर्मा युद्ध के समय किये गये वायदे से मुकरने का आरोप लगाया। अंग्रेज़ों ने अहोम प्रदेश को अपने साम्राज्य में मिलाने का प्रयास किया। अहोमों ने अंग्रेज़ों के इस प्रयास को विफल करने के लिये 1828 ई. में 'गोमधर कुंअर' के नेतृत्व में विद्रोह कर दिया तथा रंगपुर पर चढ़ाई की योजना बनाई। अंग्रेज़ी सेना इस विद्रोह पर नियंत्रण पाने में असफल रही। 1830 ई. में अहोमों द्वारा दूसरे विद्रोह की योजना बनाई गयी। इससे पहले की विद्रोह होता, कम्पनी ने शान्ति की नीति अपनाते हुए उत्तरी असम के प्रदेश महाराज 'पुरन्दर सिंह' को दे दिये और विद्रोह शांत हो गया।
1830 में आहोम विद्रोह के नेतृत्वकर्ता कौन थे
हटाएंGomdhar kuwanr
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