Globel hunger Index-2018, जानिए वैश्विक भूख सूचकांक 2018 के बारें
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआई) जागरूकता बढ़ाने और वैश्विक स्तर पर, क्षेत्रीय और देशों द्वारा भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करके पूरी दुनिया में भूख को कम करने के लिए कार्रवाई को सुनिश्चित करने के लिए डिज़ाइन की गई एक सम्मानित और पुरानी वार्षिक रिपोर्ट है। अंतर्राष्ट्रीय खाद्य और नीति अनुसंधान संस्थान और वेल्थुंगरहिल्फ के साथ साझेदारी में वर्ष 2006 से यह रिपोर्ट प्रतिवर्ष जारी किया जाता है, इसका उद्देश्य भूख के खिलाफ संघर्ष में क्षेत्रीय और देशों के मतभेदों को समझना भी है।
भूख की बहुआयामी प्रकृति को प्रतिबिंबित करने के लिए, जीएचआई निम्नलिखित चार संकेतकों को जोड़कर एक सूचकांक जारी करता है।
1.अल्पपोषण(Undernourishment): आबादी के प्रतिशत के रूप में कमजोर लोगों (अपर्याप्त कैलोरी सेवन के साथ) का अनुपात।
2.बाल क्षीणता (Child wasting): पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के अनुपात जो वजन कम होने से पीड़ित हैं-अर्थात, उनका वजन उनकी ऊंचाई के अनुपात में कम है, तीव्र अनावश्यकता को दर्शाता है।
3.बच्चों में बौनापन (Child Stunting): पांच साल से कम उम्र के बच्चों के अनुपात जो बौनेपन से पीड़ित हैं- यानी, उनकी उम्र के लिए कम ऊंचाई, पुरानी कुपोषण को दर्शाती है।
4.बाल मृत्यु दर (Child Mortality Rate): पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर (आंशिक रूप से अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर वातावरण की घातक तालमेल को दर्शाती है।)
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भूख की बहुआयामी प्रकृति को प्रतिबिंबित करने के लिए, जीएचआई निम्नलिखित चार संकेतकों को जोड़कर एक सूचकांक जारी करता है।
1.अल्पपोषण(Undernourishment): आबादी के प्रतिशत के रूप में कमजोर लोगों (अपर्याप्त कैलोरी सेवन के साथ) का अनुपात।
2.बाल क्षीणता (Child wasting): पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के अनुपात जो वजन कम होने से पीड़ित हैं-अर्थात, उनका वजन उनकी ऊंचाई के अनुपात में कम है, तीव्र अनावश्यकता को दर्शाता है।
3.बच्चों में बौनापन (Child Stunting): पांच साल से कम उम्र के बच्चों के अनुपात जो बौनेपन से पीड़ित हैं- यानी, उनकी उम्र के लिए कम ऊंचाई, पुरानी कुपोषण को दर्शाती है।
4.बाल मृत्यु दर (Child Mortality Rate): पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर (आंशिक रूप से अपर्याप्त पोषण और अस्वास्थ्यकर वातावरण की घातक तालमेल को दर्शाती है।)
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मुख्य तथ्य:
- इस सूची में 119 देशों की रैंक जारी की गयी है।
- बेलारूस सहित 15 देशों को इस सूची में पहला स्थान प्राप्त हुआ है।
- इन 15 देशों को 5 से कम प्वांइट मिले हैं।
- इस सूची में अफ्रीन देश, सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक (central african republic) को अंतिम स्थान प्राप्त हुआ।
- संकेतक में बच्चों से जुड़े आकड़े पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के इकट्ठे किये जाते हैं।
- रैंकिग जारी करने के लिए (0-100) तक प्वांइंट का इस्तेमाल किया जाता है।
- 0 प्वांइट सबसे अच्छी स्थिति अर्थात 'no hunger' जबकि 100 प्वांइट सबसे बुरी स्थिति को दर्शाता है।
भारत की स्थिति:
- भारत को इस सूची में 31.1 अंकों के साथ 103 वीं रैंक प्राप्त हुई है।
- इस सूची में भारत को 2017 की तुलना में 3 रैंक का नुकसान हुआ है क्योंकि पिछले वर्ष 100 वीं रैंक प्राप्त हुई थी।
- भारत में सबसे गंभीर समस्या बच्चों की क्षीणता (Child Wasting) हैं।
- कुपोषण के कारण बच्चों की की लंबाई के अनुपात में उनका वजन कम रह जाता है।
- भारत में प्रत्येक पांच में से एक बच्चे का वजन उसकी लंबाई के हिसाब से कम रह जाता है।
- बच्चों की क्षीणता( Child Wasting) में केवल दक्षिण सूडान(28.6%) की ही स्थिति भारत 21% से खराब है।
- अन्य संकेतकों मे भारत की तुलनात्मक स्थिति ठीक है।
- ब्रिक्स देशों (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) में भी भारत आखिरी स्थान पर आया है।
- उत्तर कोरिया, जो कि व्यापक गरीब देशों में माना जाता है, ने भी 93 की रैंकिंग के साथ भारत की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।
- आठ दक्षिण एशियाई देशों में से (अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका),में केवल अफगानिस्तान (107 वीं रैंक) और पाकिस्तान (106 वीं रैंक) ने भारत से भी खराब प्रदर्शन किया है।
- भूटान के लिए डेटा अपर्याप्त था।
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