खिलाफत या असहयोग आंदोलन क्या है ?
प्रथम विश्व युद्ध की समाप्ति के पश्चात भारत में ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो गयीं कि भारतीयों को अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ा। सन 1919 से 1922 तक दो महत्वपूर्ण आंदोलन चलाये गये। ये आंदोलन थे - खिलाफत आंदोलन एवं असहयोग आंदोलन। हालांकि खिलाफत आंदोलन भारतीय राजनीति से प्रत्यक्ष रुप से संबद्ध नहीं था परंतु इस आंदोलन ने हिन्दु- मुस्लिमों को भेदभाव मिटाकर एकजुट होकर आंदोलन करने के लिए प्रोत्साहित किया। खिलाफत आंदोलन के उदय का कारण प्रथम विश्व युद्ध के पश्चात तुर्की के प्रति ब्रिटिश शासन के रवैये से सम्पूर्ण विश्व के मुसलमान आक्रोशित हो उठे। प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ने ब्रिटेन के विरुद्ध जर्मनी एवं आस्ट्रिया का साथ दिया था। अत: ब्रिटेन ने तुर्की के प्रति कठोर रवैया अपनाया। तुर्की के साथ 'सेब्रीज की संधि' करके तुर्की के आॅटोमन साम्राज्य का विभाजन कर दिया तथा खलीफा को पद से हटा दिया। अंग्रेजों के इस कदम से विश्व भर के मुसलमानों (सुन्नी) में तीव्र आक्रोश व्याप्त हो गया। विरोधस्