स्वदेशी या बॉयकॉट आंदोलन की शुरुआत एवं कारण
स्वदेशी या बॉयकॉट आंदोलन की शुरुआत तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड कर्जन के बंगाल विभाजन (बंग-भंग) की घोषणा के विरोध में हुई। 7 अगस्त 1905 को बंगाल विभाजन की घोषणा हुई विरोधस्वरूप कृष्ण कुमार मित्र की 'संजीवनी' नामक पत्रिका में दिए गए सुझाव के तहत स्वदेशी वस्तुओं को अपनाया गया तथा विदेशी वस्तुओं की होली जलाकर विरोध प्रदर्शन किए गए।आंदोलन के नेतृत्व की बागडोर सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने संभाली। बंगाल विभाजन का वास्तविक उद्देश्य हिन्दू, मुस्लिमों को धर्म के आधार पर बांटना था। बंगाल का विभाजन इस प्रकार कर दिया गया था जिसमें पूर्वी हिस्सा मुस्लिम बहुल था तथा पश्चिमी हिस्से में हिन्दू आबादी अधिक रहती थी। दूसरा, बंगाल का विभाजन होने से बंगला भाषी लोग बंगाल में ही अल्पसंख्यक बन गए, क्योंकि वहां पर १ करोड़ ७० लाख लोग बंगाली बोलते थे जबकि हिन्दी व उड़िया बोलने वालों की संख्या ३ करोड़ ७० लाख थी। १६ अगस्त १९०५ को विभाजन लागू हुआ इस दिन को 'शोक दिवस' के रूप में मनाया गया और रवींद्र नाथ टैगोर के सुझाव पर गंगा स्नान करके एक दूसरे को राखी बांधी गई, रक्षा बंध